Friday, March 22, 2013

सब इंस्पेक्टर अजय कुमार की जुबानी

गुनाह की दहलीज

                                                       -अजय कुमार सब इंस्पेक्टर

आखिरकार उसकी नजर अपने 14 वर्षीय देवर पर ठहर गई। वह उसे गुनाह की दहलीज पर चढ़ाने की कोशिश की, लेकिन जब वह इसके लिए तैयार नहीं हुआ, तो उसे वहां से ढकेलकर गुनाह के कटघरे में ला खड़ा की... 


11 अक्टूबर, 2006 के दोपहर सवा बारह बजे का वक्त था। मैं थाने में आकर अपने सीट पर बैठा ही था कि तभी एक सिपाही ने आकर बताया कि एस.एच.ओ. साहब बुला रहे हैं।
जब मैं उनके केबिन में पहुंचा और उनका अभिवादन कर पूछा, ‘‘कहिए सर।’’
एस.एच.ओ. बक्शी राय ने कहा, ‘‘अजय, मुस्तपफाबाद स्थित नेहरु नगर के मकान नंबर डी-3/462 में एक महिला बलात्कार की शिकार हो गयी है। मैं चाहता हूं आप इस केस की जांच-पड़ताल करें।’’
‘‘ठीक है, सर। मैं अभी घटनास्थल पर पहुंचकर जांच शुरू करता हूं,’’ इतना कहने के बाद मैं बिना समय गंवाये तुरंत घटनास्थल पर पहुंच गया। वह एक मंजिला मकान था। मैं मकान के बाहर कुछ लोगों की भीड़ इकट्ठी थी। मकान के अंदर गया। उस मकान में दो कमरे बने हुए थे। उन्हीं में से एक कमरे में एक 28-30 वर्षीया महिला रो रही थी। कुछ लोग उसके पास बैठकर उसे चुप करा रहे थे। उसकी स्थिति देखकर मैं समझ गया कि बलात्कार की शिकार यही महिला हुई होगी। मैं उसके पास पहुंचा तो वह मुझे देखते ही चीखने-चिल्लाने लगी और थोड़ी देर बाद हिचकियां लेते हुए बोली, ‘‘साहब, मैं लुट गयी, बर्बाद हो गयी। मैं किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रही। मेरी समझ में कुछ आ नहीं रहा है। मन में आता है कि जहर खाकर अपनी जान दे दूं।’’
मैंने उस महिला को समझाया, ‘‘आप शांत हो जाइए और विस्तारपूर्वक बताइए, आपके साथ यह सब कैसे हुआ और कब हुआ? यकीन मानिए, अगर आप मुझे सब कुछ सच-सच बताएंगी, तो आपको पूरा इंसापफ मिलेगा। हम आप जैसे दुःखी लोगों के मदद के लिए ही हैं।’’
‘‘साहब, मेरा नाम ताहिरा है। मेरी शादी को करीब सात साल हो चुके हैं। मेरे शौहर का नाम मोहम्मद नाजिम है। मेरी 5 वर्षीया बेटी मुस्कान है और 4 वर्षीय एक बेटा शहजान है। घर में हम पति-पत्नी तथा बच्चों के अलावा मेरे शौहर के अबू बाबर अली और मेरा 14 वर्षीय देवर परवेज रहते हैं। 10 अक्टूबर की रात को मैं रोजमर्रा के कामों को निपटाकर सो गई थी। मैंने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद नहीं किया था। मेरे शौहर उस दिन घर में मौजूद नहीं थे। वह किसी काम से बाहर गए हुये थे। रात के करीब बारह बजे मेरा देवर परवेज दबे पांव मेरे कमरे में आकर अंदर से दरवाजा बंद कर दिया। पिफर मेरे पास आकर वह सो गया। इस दौरान मैं गहरी नींद के आगोश में थी। मुझे परवेज के कमरे में आने का जरा-सा भी आभास नहीं था। इसका आभास मुझे तब हुआ, जब उसकी बांहें मेरे जिस्म को अपनी गिरफ्रत में लेकर वह मुझे चूमने लगा। उसकी इस हरकत से मेरी नींद टूट गई और मैंने उसका विरोध् किया, तो उसने मुझे थप्पड़ मारा और कहा कि चुपचाप लेटी रहो। अगर उठने की कोशिश की तो जान से मार दूंगा। कमरे में अंध्ेरा पफैला था, किंतु परवेज की सख्त आवाज से मैं डर गई और चुपचाप पड़ी उसे मनमानी करने दी। परवेज ने मेरे साथ बलात्कार किया। अपने को तृप्त करने के बाद उसने मुझे ध्मकी दी कि अगर मैंने किसी से कुछ कहा तो इसका अंजाम बहुत भयानक होगा।’’
थोड़ी देर ठहर कर ताहिरा ने कहा, ‘‘मैं परवेज की ध्मकियों से डरी नहीं, सुबह जब मेरे शौहर आये, तो मैंने उन्हें उनके भाई की करतूत बतायी और कहा कि थाना में रपट लिखवा दीजिए। जब मेरे शौहर ने यह सब सुना तो वह मुझे उल्टा मारने लगे और कहा कि अगर तुमने थाने में रपट लिखवाई तो अच्छा नहीं होगा। उन्होंने यह भी कहा कि इससे हमारे परिवार की बहुत बदनामी होगी। इतना कहकर वह पिफर घर से बाहर निकल गये। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं, क्या न करूं। आखिर में मैंने कापफी सोचकर अपने भाइयों जाकिर और ताहिर को अपने घर बुलाया और उन्हें सारी बातें बतायीं। उन्हें तो कापफी क्रोध् आया और वे परवेज को मारने-पीटने के लिए उठे, लेकिन लोगों के समझाने पर उन्होंने पुलिस कंट्रोल रूम को पफोन किया।’’
थोड़ी देर अपनी सांसों पर काबू पाने के लिए ताहिरा रुकी, पिफर उसने कहना शुरू किया, ‘‘मेरे शौहर मुझसे बहुत नाराज हैं। वह कहते हैं कि तुमने जानबुझकर मेरे भाई परवेज को पफंसाया है। अब आप ही बताइये, मैं क्या करूं? मेरे शौहर नाजिम को मुझ पर एतबार नहीं है। वह कहीं चले गए हैं। साहब, अब आप ही मुझे इंसापफ दिलाएं। मैं उस बलात्कारी को सख्त-से-सख्त सजा दिलवाना चाहती हूं।’’
मैंने ताहिरा का बयान लिया। मेरे साथ थाने से दो महिला कांस्टेबल भी आई थीं। मैंने उन दोनों के साथ ताहिरा को मेडिकल जांच के लिए अस्पताल भेजा। ताहिरा के जाने के बाद मैं घर की जांच-पड़ताल करने लगा और साथ ही लोगों से पूछताछ भी की। इन सभी कार्यों में लगभग चार घंटे लग गये। तब तक ताहिरा महिला कांस्टेबलों के साथ वापस आ गई। उसके साथ मेडिकल रिपोर्ट भी थी, जिसके अनुसार ताहिरा के साथ बलात्कार होने की पुष्टि की गई थी।
मैं ताहिरा को लेकर थाने आया और उसकी तहरीर पर परवेज के विरु( बलात्कार का मुकदमा कायम कर लिया।
12 अक्टूबर को मैं दो कांस्टेबलों के साथ ताहिरा के घर गया। उस वक्त उसका शौहर नाजिम घर पर मौजूद था। मुझे देखते ही वह कुर्सी से उठकर खड़ा हो गया और मेरा अभिवादन करते हुए कहा, ‘‘आइए सर, बैठिए।’’
‘‘मुझे तुमसे कुछ पूछताछ करनी है, इस कारण तुम्हें मेरे साथ थाने चलना होगा।’’ इतना कहने के बाद मैंने कमरे के अंदर देखा तो पाया कि 14-15 वर्ष का एक किशोर भी वहां पर खड़ा है। मुझे देखकर वह घबरा गया। यूं ही वह किशोर मासूम लग रहा था। जब मैंने उसका परिचय नाजिम से पूछा तो उसने बताया कि वह उसका छोटा भाई परवेज है। परवेज का परिचय पाने के बाद मैंने उसे ध्यान से देखा। दुबला-पतला वह किशोर 14 वर्ष का होगा। वह देखने में बिल्कुल मासूम था। उसे देखकर कहीं से भी नहीं लगता था कि वह एक 28 वर्षीया महिला, जो गदराये जिस्म की थी, के साथ बलात्कार कर सकता था। लेकिन उस वक्त इस संदर्भ में मैं खामोश रहना ही उचित समझा और नाजिम तथा परवेज को थाने लेकर आ गया। जब मैंने नाजिम से पूछताछ की तो उसने कहा, ‘‘मैंने 10 अक्टूबर की रात को घर में नहीं था। अपने एक दोस्त की शादी में गया था।’’
नाजिम की बातों से मुझे यकीन हो गया कि नाजिम घटना वाली रात को घर में मौजूद नहीं था।
मैंने नाजिम को छोड़ दिया और परवेज को थाने में ही रोके रखा। अब मैंने परवेज से पूछताछ शुरू कर दी। उसने बताया कि वह नौंवी कक्षा का छात्रा है। उसने अपनी भाभी ताहिरा के साथ बलात्कार नहीं किया है।
मैं उससे मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ करता रहा। परवेज ने मुझे बताया कि अब से करीब आठ महीने पहले कि बात है। वह अपने अब्बू के साथ सो रहा था। उस वक्त नाजिम भाई घर में नहीं थे। रात के करीब साढ़े ग्यारह बज रहे थे। भाभी ताहिरा ने मुझे जगाया और कहा, ‘‘परवेज, जरा मेरे कमरे में चलो।’’
जब मैं वहां पहुंचा तो पाया कि मुस्कान और शहजान गहरी नींद में सो रहे थे। भाभी ने मुझे अपने करीब बैठाया और कुछ देर तक मुझसे इधर-उध्र की बातें करती रहीं। पिफर मुझे अपने पास लिटा लिया और मेरे संवेदनशील अंगों के साथ खेलने लगी। पहले तो मुझे यह सब अजीब-सा लगा, किंतु उनके छेड़छाड़ के कारण मैं उत्तेजित हो उठा और पिफर उनके साथ शारीरिक संबंध् बनाया। किसी स्त्राी के साथ मेरा यह पहला मौका था। इसमें मुझे भी कापफी मजा आया। इस कारण मैं अपनी भाभीजान की ओर आकर्षित हो गया। अब जब भी घर में भाईजान नहीं होते तो भाभीजान रात को मुझे अपने कमरे में बुला लेती और हम दोनों में संबंध् बनता। ऐसा करीब हमारे बीच आठ महीने से चल रहा था। 10 अक्टूबर की रात को भी भाभीजान से मुझ अंतरंग संबंध् बनाने के लिए कहा, लेकिन उस रात मैं उनके साथ शारीरिक संबंध् बनाने से इंकार कर दिया। दरअसल, भाभीजान से संबंध् बनाते-बनाते मैं अपराध्बोध् से ग्रसित हो गया था। मैंने किताबों में पढ़ा था कि यह सब पाप है, इस कारण मैं भाभीजान से संबंध् बनाने के लिए इंकार कर दिया। मैंने भाभी जान से कहा, ‘‘भाभीजान, खुदा के लिए आप मुझे मापफ कर दें। मुझसे जो गलती हो गई है, उसे मैं ताउम्र नहीं भूल सकूंगा।’’
मेरा इतना कहते ही भाभीजान क्रोध् से आग-बबूला हो गई और उन्होंने कहा, ‘‘जब तुमने इतने दिनों से मेरे साथ शारीरिक संबंध् बना रहा था, तो कोई अपराध्बोध् तुझे नहीं हुई, और आज नखरे कर रहा है।’’
‘‘भाभीजान, अब मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया है। इस कारण मैं अब यह पाप नहीं करूंगा।’’ मैंने कहा।
इतना सुनते ही वह गुस्से से बिपफर पड़ी। मुझे गालियां देने लगीं। मैं चुपचाप दूसरे कमरे में आकर सो गया। घर पर अब्बू और भाईजान नहीं थे। थोड़ी देर बाद भाभीजान मेरे कमरे में आयी और उन्होंने मुझसे आखिरी बार शारीरिक संबंध् बनाने के लिए मेरी खुशामद करने लगी। मैंने सोचा, चलो एक बार और सही। उस वक्त रात के बारह बज रहे थे। जब मैं तैयार हो गया, तो भाभीजान बिस्तर पर आ गई और वह मुझे बेतहाशा चूमने लगी, जिससे मैं अपने आप पर काबू नहीं रख सका और शीघ्र ही उत्तेजित होकर उनके जिस्म में समा गया।
इतनी सब बातें बताने के बाद परवेज पफूट-पफूटकर रोने लगा। जब मैंने उसे ढाढ़स बंधाया, तो उसने रोते हुए कहा, ‘‘मुझे क्या पता था कि साजिश कर वह मुझे बलात्कार के आरोप में मुझे पफंसा देंगी।’’
थोड़ी देर ठहरकर उसने कहा, ‘‘साहब, वह मुझे झुठे बलात्कार के आरोप में पफंसाना चाहती है, लेकिन हकीकत यह है कि मैंने उनके साथ बलात्कार किया ही नहीं। उन्होंने मुझे खुद शारीरिक संबंध् बनाने के लिए उकसाया था। साहब, आप मुझे बचा लीजिए, मैं जेल नहीं जाना चाहता। खुदा की कसम, मैं गुनाहगार नहीं हूं।’’
मैंने परवेज को तसल्ली दी कि मैं उचित कार्यवाही करूंगा। इसके बाद मैंने ताहिरा को थाने में बुलवाया और उससे कहा, ‘‘ताहिरा, तुम परवेज को बलात्कार के झुठे आरोप में पफंसाकर उसकी जिंदगी बर्बाद कर रही हो।’’
मेरी बात सुनकर ताहिरा ने सख्त लहजे में कहा, ‘‘साहब, मैं सच कह रही हूं। परवेज ने मेरे साथ बलात्कार किया है। मैं उसे हर हालत में सजा दिलवाना चाहती हूं।’’
ताहिरा के पति नाजिम के बयान, परवेज के बयान और अन्य लोगों से पूछताछ के साथ ही ताहिरा के बातचीत करने और व्यवहार से मुझे दाल में काला नजर आने लगा। 14 वर्ष का पतला-दुबला किशोर किस प्रकार 28 वर्षीया गदराये जिस्म की तंदुरुस्त महिला के साथ जबर्दस्ती करने में सपफल हो सकता है?
मोहल्ले के लोगों से ताहिरा के चरित्रा के विषय में मुझ कुछ जानकारी मिली, जिसके अनुसार ताहिरा निप्रफोमेनिया जैसी यौन विकृति की शिकार थी। मनोविज्ञान में बताया गया है कि निप्रफोमेनिया ऐसी यौन विकृति है, जिसमें स्त्राी को प्रतिदिन 6-7 बार सहवास किये चैन नहीं मिलती और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि निप्रफोमेनिया की शिकार महिलाओं को एक पुरुष से भी संतुष्टि नहीं मिलती है।
निप्रफोमेनिया के बारे में अन्य बातें बताने से पहले यह जान लेना आवश्यक है कि यह एक सेक्स कुंठा है, कोई बीमारी नहीं। प्रत्येक स्त्राी के मन में ;अवचेतन मन मेंद्ध यह एक दबी हुई कुंठा रहती है कि वह अपने पति के अलावा किसी अन्य के साथ अथवा एक साथ कई पुरुषों के साथ सेक्स करे।
इस कुंठा से अर्थात् निप्रफोमेनिया की शिकार केवल महिलाएं होती हैं। कोई भी महिला इस कल्पना से ही रोमांचित हो उठती है कि उसके बिस्तर में उसकी बगल में दो या चार निर्वस्त्रा पुरुष पड़े हैं और वे सभी उसके जिस्म को मसल रहे हैं, निचोड़ रहे हैं। इस इच्छा या भावना को ‘सेक्स पफैंटेसी’ भी कहा जाता है।
90 प्रतिशत स्त्रिायां पर पुरुष से यौन इच्छा तो रखती हैं, लेकिन सामूहिक रूप से सेक्स इच्छा केवल 10 प्रतिशत महिलाएं ही पसंद करती हैं।
क्लियोपेट्रा के बारे में सभी जानते ही हैं कि वह एक रात में सौ पुरुषों से मुख मैथुन करती थी। क्लियोपेट्रा व्यक्तिगत तौर पर भी अत्यंत कामुक थी। और यही कामुकता जब अत्यध्कि बढ़ जाती है, तो ‘निप्रफोमेनिया’ का रूप ले लेती है।
रोम के सम्राट नीरो और पफैलीगुला द्वारा सामूहिक सेक्स आयोजनों के वर्णन अब तक पढ़ने को मिलते हैं। चीन के सुंग वंश की राजकुमारी शानचित एक अवसर पर एक साथ 30 पुरुषों से शारीरिक संबंध् बनाती थी।
16वीं सदी में षष्ठम् अलैक्जैंडर नामक पोप के बारे में कहा जाता है कि वह स्वयं, उसका बेटा सीजेयर बोर्जिया तथा उसकी बहन लुक्रे जिया बोर्जिया, तीनों ही इस सेक्स कुंठा के शिकार थे। पिता, पुत्रा और पुत्राी द्वारा आपस में सामूहिक व्यभिचार होता था।
भारत के पूरे पर्वतीय अंचल में यह प्रथा रही कि चार-पांच भाइयों के मध्य एक ही पत्नी होती है। वे अपने को पांडवों का वंशज बताते हैं और सभी भाइयों की एक पत्नी रात्रि में अपने पतियों के सामूहिक यौनाचार की शिकार बनती है।
यदि वह ‘पत्नी’ निप्रफोमेनिया से ग्रस्त न भी हो, तो कुछ दिनों के बाद उसकी ऐसी आदत हो जाएगी।
ताहिरा और निप्रफोमेनिया के विषय में कापफी देर तक सोचने के बाद भी मैं मजबूर था। मैं परवेज को बलात्कार के आरोप से बचाना चाहता था, क्योंकि सच्चाई मेरे सामने थी, लेकिन मेरे पास कोई सबूत नहीं था, जो परवेज के लिए ढाल साबित हो।
मेडिकल रिपोर्ट और ताहिरा के बयान के आधर पर मुझे परवेज को गिरफ्रतार करना पड़ा, क्योंकि सारे सबूत परवेज के खिलापफ थे। परवेज की आंखों में सच्चाई नजर आ रही थी। वह बार-बार अपनी गलतियों की मापफी मांग रहा था, लेकिन मैं चाहकर भी उसे बचाने में असमर्थ था।
बहरहाल, मैंने परवेज के खिलापफ अपराध् संख्या 663/2006 पर भारतीय दंड संहिता की धारा 323/376/506 के तहत मामला दर्ज कर उसे मुखर्जी नगर स्थित बाल न्यायालय में पेश किया, जहां उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।
जिस चालाकी से ताहिरा ने 14 वर्षीय मासूम परवेज को बहला-पफुसला कर संबंध् बनाकर पफंसाया था, इससे तो औरत जात पर ही शर्म आती है। कुछ लोगों के अनुसार ताहिरा अपने देवर परवेज के हिस्से की संपत्ति को हड़पना चाहती थी। इसीलिए उसने उसे बलात्कार के आरोप में पफंसाया था।





पेड़ का रहस्य

 जानलेवा पेड़ का रहस्य

खुर्दा-बालूगां उड़ीसा् राष्ट्रीय राजमार्ग पर है मंगलाजोड़ी गांव। गांव से कुछ ही दूरी पर है एक सूखा पेड़। जो इस पेड़ का स्पर्श करता है, उसकी मृत्यु हो जाती है। इध्र-उध्र की बात करेगा और मुंह से निकलेगा अनवरत खून, बाद में छटपटाकर मौत की आगोश में समा जाएगा। इससे निजात पाने के लिए क्यों ना आप किसी भी डॉक्टर या ओझा-गुनी से इलाज करवा लें, लेकिन यह होकर ही रहेगा। यह न तो कोई सुनी-सुनाई बता है और न ही कोई पिफल्म की कहानी है, बल्कि यह मानना है कि मंगलाजोड़ी गांव के लोगों का। वहीं प्रशासन का कहना है कि यह महज ग्रामीणों का वहम है। इसमें कोई सच्चाई नहीं है।

खुर्दा के जिलाध्ीश का कहना है कि विगत चार-पांच माह में उस गांव के सात लोगों की मौत की बात कही जा रही है। यह किसी खास बीमारी की वजह से भी हो सकती है। इस मामले की जांच के लिए प्रशासनिक टीम के अलावा मेडिकल टीम क गठन किया गया है। मेडिकल टीम मरीजों की जांच कर बीमारी और मौत के कारणों का पता लागायेगी। जिलाध्ीश ने कहा कि जांच रिपोर्ट के बाद ऐसे मामले में कुछ कहा जा सकता है। वैसे उन्होंने भूत व पेड़ के आतंक की बात को महज बकवास बताया है।
पिछले दिनों गांव गई मेडिकल टीम को ग्रामीणों ने मरीजों को दिखाने से इंकार कर दिया। उनका कहना है कि इसका हल कोई तांत्रिक ही निकाल सकता है। पूरे मामले की तहकीकात करने पर लोगों ने बताया कि 15 पुफट का सूखा यह पेड़ अभी तक इसने क्षेत्रा के सात लोगों की जान भी ले चुका है। भय से अब तो गांव के लोगों ने उस पेड़ को दूर से भी देखना छोड़ दिया है। बच्चों ने तो उस रास्ते से होकर दिन में भी स्कूल जाना बंद कर दिया है। शाम होते ही सारा गांव पेड़ के आतंक से निस्तब्ध् हो जाता है। गांव के कई परिवार इस भय से गांव छोड़कर अपने बाल-बच्चों के साथ पलायन करने लगे हैं। इन सब के बीच पेड़ के करीब तांत्रिक अनुष्ठान जारी है।
वहीं गांव वालों ने बताया कि करीब एक साल से यह पेड़ सूख जाने के बावजूद वैसे ही खड़ा है। कुछ दिन पहले गांव के 58 वर्षीय महंत बेहेरा ने घरेलू कामकाज के लिए इस पेड़ को काटने का प्रयास किया था, मगर पेड़ को छूते ही बेहोश हो गया। उसे टांगी अस्पताल ले जाया गया, जहां डाक्टरों ने जवाब दे दिया तो उसे राजधनी अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही उसके मुंह से कापफी खून निकलने लगा और वह मर गया। पुनः 45 साल के जननायक नामक एक महिला लकड़ी संग्रह करने के प्रयास में पेड़ को स्पर्श किया और उसकी भी उसी हालत में मौत हो गई। इसके बाद अनिल कुमार नामक एक लड़के ने खेल-खेल में पेड़ की एक डाली तोड़ दी और दूसरे दिन उसकी भी मौत हो गई। 17 साल के भवानी शंकर नामक एक लड़के ने पेड़ को छू लिया तो उसके नाक तथा मुंह से खून व उल्टी हुई और दो दिन बाद उसकी मौत हो गई। यह सिलसिला यहीं समाप्त नहीं होता है। एक दिन एक महिला अपने एक महीने के बच्चे को लेकर उसी रास्ते से जाते समय डर गई एवं घर पहुंचते ही उसका बच्चा मर गया।
इसके अलावा कुछ महीने पहले भी गांव के अन्य दो व्यक्तियों की मौत भी इसी वजह से हो गयी थी। मानस मांझी नामक एक युवक सब कुछ जानबुझकर कुछ लोगों को पेड़ के पास खड़ा होकर साहस दिखाकर पेड़ को स्पर्श किया, पिफर उसकी भी मृत्यु हो गई। उसी गांव की रश्मिता बेहेरा द्वारा गलती से पेड़ को छू देने के कारण इसे अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां कुछ पफायदा न होने के बाद वह घर में अभी मौत के साथ लड़ रही है। रश्मिता का झाड़पफूंक करने के लिए आया हुआ एक तांत्रिक खुर्दा का निशामणि जेना अपने घर लौटते समय एक ट्रक के चपेट में आ गया, उसे राजधनी अस्पताल में भर्ती कराया गया। दिन में उस पेड़ को देखने के लिए, जहां लोगों की कापफी भीड़ होती है, वहीं गांव के लोग भय से गांव छोड़ रहे हैं।
उपर्युक्त सभी घटनाओं का हवाला देकर ग्रामीण इस पेड़ के आतंक की कहानी कहने से नहीं थक रहे हैं। उनका दावा है कि इस पेड़ पर किसी भूत-प्रेत का साया है, जिसे सिपर्फ योग्य तांत्रिक ही भगा सकता है।