कत्ल की पहेली
शहर के मशहूर बिजनेसमैन साहिल भगत पर इल्जाम था कि उसने अपनी बेवफा बीवी को मौत के घाट उतार दिया था। कत्ल के बाद पुलिस ने उसे मौकायेवरदात से रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। सारे सबूत सारे गवाह उसके खिलाफ थे। कहीं से उसके बच पाने की कोई उम्मीद नहीं थी। पहेली सुलझने की बजाय निरंतर उलझती ही जा रही थी। रंगे हाथों कातिल को गिरफ्तार कर चुकने के बावजूद पुलिस उसे जेल भेजने में कामयाब नहीं हो पाई। कातिल इतना शातिर था कि कत्ल के बाद शक की सूई जबरन किसी और की तरफ मोड़ देता था। वो खेल रहा था, कभी पुलिस के साथ तो कभी विक्रांत गोखले के साथ। उसने कई मासूम लोगों के लिए दुश्वारियां खड़ी कीं, कईयों को उसकी वजह से पुलिस की शख्त पूछताछ का शिकार होना पड़ा। जल्दी ही ये बात सामने आ गई कि वो कोई वन मैन शो नहीं था। कातिल भले ही कोई एक जना था, मगर उसके पीछे कई मास्टरमाईंड काम कर रहे थे, जो योजनायें बनाते थे, कातिल के लिए कत्ल का वक्त और सहूलियत के साथ-साथ उसके बचाव के लिए भूमिका तैयार करते थे। उनके पास टैक्नोलाॅजी थी, हैकर था और हत्यारा था। सबकी सम्मलित टीम गुनाह को अंजाम देती थी। सब के सब सात पर्दों के पीछे छिपे हुए थे, कत्ल के बाद जंजीर की सबसे कमजोर कड़ी को तोड़ दिया गया था, लिहाजा पुलिस और गुनहगारों के बीच का फासला निरंतर बढ़ता ही जा रहा था।