Tuesday, March 5, 2013

a true love and crime story

  दीवानगी की हद



उसके होंठ थरथरा उठे, ‘‘वह सिर्फ मेरा है, सिर्फ और सिर्फ मेरा। उसकी मुहब्बत पर बस मेरा हक है। वह यह हक किसी और को नहीं दे सकता। मैं ऐसा नहीं होने दूंगी, कभी नहीं। चाहे मुझे किसी भी हद से गुजरना पड़े।’’

स्टेसी बेड पर जाकर लेट गई। तकिया उसने सीने से लगाकर भींच लिया, तो आंखें उसकी बेबसी पर बरस पड़ीं। होंठ फिर थरथराये। मगर इस बार गुस्सा नहीं, दर्द झलक रहा था, ‘‘तुम ऐसा नहीं कर सकते लारेंस। तुम मेरी जिंदगी हो। मैंने तुम्हें मन ही नहीं, तन भी सौंपा है। मेरी हर सांस में तुम हो, मेरी हर आस में तुम हो, तुम्हीं मेरे जीने का मकसद हो, तुम्हारा प्यार, तुम्हारा साथ ही मेरी खुशी है। यह तुम मुझसे नहीं छीन सकते। तुम मेरा पहला और आखिरी प्यार होे। तुम मेरी जिंदगी में आने वाले पहले और आखिरी मर्द हो। तुम उन लम्हों को भुला नहीं सकते, जो मेरे साथ गुजारे हैं। तुम यह कैसे भूल गये कि मैंने अपनी कोख से तुम्हारे प्यार की निशानी को भी जन्मा है। तुम बदल कैसे गये। तुमने तो सदा साथ देने का वादा किया था। फिर ये बेवफाई क्यों?क्या तुम बस मेरे अरमानों से मेरे तन से खेलना चाहते थे?नहीं लारेंस, नहीं। तुम ऐसे नहीं थे। तुम ऐसे हो भी नहीं। जरूर उसने तुम पर जादू करके तुम्हें वश में कर लिया है। पर तुम मुझे कैसे भूल गये। तुम याद करो, जब हम पहली बार मिले थे।’’
स्टेसी बड़बड़ाते हुए अतीत में जा पहुंची।


उस वक्त स्टेसी की उम्र 16 साल की थी। वह अभी यौवन की बहार में कदम रख ही रही थी कि उसके अंग-अंग में निखार ही नहीं आ गया था, मादकता का रस भी टपकता था। यह परिवर्तन कुछ समय पहले ही आया था। शुरू में तो वह इससे घबरा सी गई थी। वह जब अपनी छातियों के उभार को देखती तो घबरा जाती कि उसे कोई रोग तो नहीं लग गया है। सीने पर ये दो गांठें कैसे उभर आईं?कहीं यह किसी रोग की अचानक दस्तक तो नहीं है। कुछ दिन उसने इसी परेशानी में काटे। किसी से कुछ बताया भी नहीं। अपनी सहेलियों से मिलती तक नहीं थी। डरती थी कि कहीं उनकी नजर उसकी छाती पर उभरी गांठों पर पड़ गई तो! नहीं, वह उनकी नजरों में हीन हो जायेगी। पर वह ऐसा कब तक करती।


एक दिन एक सहेली ने उसकी परेशानी का सबब जिद करके पूछ ही लिया, तो स्टेसी ने रो-रोकर उसे बताया कि किस तरह उसकी छाती पर गांठें निकल आई हैं। इस पर सहेली को ऐसी हंसी आई कि काफी देर तक हंसती ही रही। हंसी थम ही नहीं रही थी और स्टेसी को उस पर गुस्सा आये जा रहा था। ‘‘मैं तो परेशान हूं, और तू है कि इस पर हंसे जा रही है।’’ स्टेसी ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया।
‘‘अरी पगली, हंसू नहीं तो और क्या करूं। कितनी बेवकूफ है तू। अरे, ये कोई रोग नहीं है। यह तो जवानी की सौगात है। अब तू जवान हो गई है। इससे तो लड़की की खूबसूरती बढ़ती है। उभार जितना उभरा और कसावार होता है, लड़की उतनी ही खूबसूरत लगती है। खुशनसीब होती हैं वह लड़कियां, जिनकी छाती में इस तरह उभार आता है। देख, मेरी भी तो...।’’ कहते हुए सहेली ने अपनी शर्ट के ऊपर के दो बटन खोल दिये।
उसकी छाती देख स्टेसी को तसल्ली हुई। उसकी छाती भी उसी तरह उभरी हुई थी, जिस तरह स्टेसी की उभर आई थी। अब उसे भरोसा हो चला था कि वह सही कह रही है। वह बोली, ‘‘मैं जवान हो गई हूं। मैं खूबसूरत भी हो गई हूं।’’
‘‘और क्या! तेरी खूबसूरती पर तो देखना कितने फिदा होंगे, कितने दिल तेरे कदमों में बिछायेंगे, कितने तुझे अपनी बनाने को तरसेंगे।’’ सहेली ने उसके गाल चूम लिये, ‘‘अगर मैं लड़का होती, तो इसी पल तेरी इस जवानी को अपनी बांहों में जकड़ इसका पूरा रस पी लेती।’’
‘‘चल हट बेशर्म!’’ स्टेसी ने कहा और सीधा अपने घर चली आई।
स्टेसी आईने के सामने खड़ी हो गई और अपने चेहरे को निहारने लगी। फिर उत्सुकतावश शर्ट उतार कर अपनी छाती को हसरत भरी निगाह से देखते हुए छू-छूकर देखते हुए खुश होने लगी। आईना तो वह रोज की देखती थी। जब से छाती में उभार आया था, तब से दिन में जाने कितनी बार उसमें देख दुखी होती थी। पर आज वह खुश थी। छाती को तो इस तरह नरम हाथों से छू रही थी, जैसे कोई अजूबा हो गया हो।
अब स्टेसी छाती को छुपा कर नहीं, दिखा कर चलती थी। कपड़े भी कम और तंग पहनती थी कि जवानी का उभार युवकों की नजर में चुभने लगे और वह उसे पाने की हसरत पाल बैठें। ऐसा हुआ भी। कई युवकों ने उसके नजदीक आने की, उससे दोस्ती करने की पेशकश की, पर उसको उनमें से कोई पसंद ही नहीं आया। पर कोई तो पसंद आना ही था।
उन दिनों स्टेसी की गर्मियों की छुट्टियां चल रही थीं। अन्य शौकों के अलावा उसने अब पानी में अठखेलियां करने का शौक भी पाल लिया था। उस दिन शाम को वह स्विमिंग पुल पर गई, तो महीन सा स्विमिंग सूट पहनकर पानी में जलपरी की तरह तैरते हुए पानी की लहरों से खेलने लगी। तभी उसने देखा कि एक युवक उसे घूरे जा रहा है। उसे यह अच्छा लगा। जाने कितनी देर वह स्विमिंग करती रही, पर उस युवक की नजर उस पर से हटने का नाम नहीं ले रही थी। अब उसमें भी कुछ उत्सुकता बढ़ी, तो दिल में भी कुछ-कुछ होने लगा।


उस युवक को नजदीक से देखने और खुद को दिखाने की आस लिए वह स्विमिंग पुल से बाहर आई, तो स्विमिंग सूट उसके बदन से इस तरह चिपका हुआ था कि शरीर के तमाम अंग झलक रहे थे। उसने देखा, उस युवक की निगाह कभी उसके शरीर को नीचे से ऊपर तक निहारती, तो कभी चेहरे पर आकर ठहर जाती। उसे ऐसा करते देख स्टेसी के अंग-अंग में उमंग भरी जा रही थी। उसने अपनी नजर नीची कर खुद के शरीर पर डाली, तो वह खुद भी शरमा गई।

अब तक वह युवक स्टेसी के बेहद नजदीक आ चुका था। दिल तो स्टेसी का कुछ कहने, कुछ सुनने को धड़क रहा था, पर बेवफा जुबान थी कि साथ ही नहीं दे रही थी। देती भी कैसे! वह तो खुद शरमाकर दोहरी होती जा रही थी। तभी उस युवक ने दोनों के बीच की खामोशी को तोड़ा, ‘‘तुम खूबसूरत ही नहीं, बेहद हसीन हो। तुमसे दोस्ती करना चाहता हूं। भरोसा है कि तुम्हें इनकार न होगा।’’ उसने स्टेसी के चेहरे को पढ़ा। उसे लगा कि उसकी रुचि भी उसमें थी, तो वह फिर से बोला, ‘‘मुझे लारेंस कहते हैं। और तुम!’’ स्टेसी ने बोलने को हांेठ खोले ही थे कि वह फिर से खुद ही बोल पड़ा, ‘‘अगर अपना नाम न भी बताओ, तो चलेगा। खूबसूरती का कोई नाम नहीं होता। फिर तुम्हारा नाम कुछ भी हो, तुम्हारी खूबसूरती के साथ तो वह खुद भी खूबसूरत ही लगेगा।’’
इस पर स्टेसी मुस्करा दी, तो होंठ भी खुल गये, ‘‘बातें तुम बेहद दिलकश करते हो। मन को लुभाती हैं। तुम नाम नहीं भी जानना चाहो, पर मैं बता देती हूं। मेरा नाम स्टेसी है। वैसे एक बात कहूं?’’
स्टेसी रुकी, तो लारेंस बोला, ‘‘एक नहीं, ढेर सारी बातें कहो। इससे तुम्हारे नजदीक रहने का ज्यादा से ज्यादा मौका तो नसीब होगा।’’
‘‘तुम भी कम स्मार्ट नहीं हो।’’ स्टेसी इतना ही बोली और कल फिर इसी जगह मिलने का वादा कर चली गई।
एक के बाद दो और तीन मुलाकात दोनों की हो चुकी थी। इस दरम्यान दोनों एक-दूसरे के बारे में काफी जान गये थे, तो दिली तौर पर नजदीक भी आ गये थे। दोनों ने प्यार का इजहार भी कर दिया था। स्टेसी ने तो लारेंस को इस तरह दिल में बसा लिया था कि हर पल बस आंखों के सामने उसकी ही तस्वीर रहती, तो ख्यालों में वहीं छाया रहता। उसे लगता कि उसकी दुनिया अब उससे शुरू होकर उसी पर खत्म होती है। उसके सिवाय उसे कुछ सुझता ही नहीं था। सहेलियांे को भी जैसे भूल ही गई थी। उसकी इस बेरूखी पर उसकी खास सहेली लोरा ने उसे टोका, ‘‘क्या बात है, आजकल तुम बदली-बदली सी लगती हो। किसी से दिल लगा बैठी हो।’’
‘‘बस ऐसा ही समझो।’’ इतना ही कहा स्टेसी ने।
‘‘कभी हमसे भी तो मिलवा दे।’’ लोरा ने चुटकी ली।
‘‘कैसे मिला दूं, मैं तो चाहती ही नहीं कि उसे मेरे अलावा कोई और भी देखे और वह किसी और को देखे।’’ स्टेसी बोली।
‘‘तू कितनी डरपोक है। क्या तुझे अपने प्यार पर भरोसा नहीं है।’’ लोरा ने कहा, ‘‘कोई किसी का प्यार छीन नहीं सकता।’’
‘‘बात तो तेरी-ठीक है, पर अगर ऐसा हो गया तो मैं तो जी नहीं पाऊंगी।’’ स्टेसी ने अपनी कमजोरी बयान कर दी।
‘‘चल कोई बात नहीं। तुझे तेरा प्यार, तेरा यार मुबारक हो।’’ कहकर लोरा अपनी राह चल दी।
वह स्टेसी और लारेंस की चौथी मुलाकात थी। उसी स्विमिंग पुल पर। स्टेसी देर तक स्विमिंग सूट पहने पानी में तैरती रही, तो किनारे पर बैठा लारेंस उसे निहारता रहा। अब जब उससे रहा नहीं गया, तो वह बोला, ‘‘तुम बाहर आती हो या मैं अंदर आ जाऊं?’’
‘‘आती हूं बाबा, थोड़ा सब्र तो करो।’’ कहते हुए स्टेसी वाकई पानी से बाहर आ गई।
‘‘आओ, कार में बैठकर बातें करते हैं।’’ लारेंस उसका हाथ पकड़ते हुए बोला।
‘‘चलती हूं, कपड़े तो पहन लूं।’’ स्टेसी ने हाथ छुड़ाना चाहा।
‘‘खूबसूरती दिखाने की चीज होती है। ढकने की नहीं। इस नाजुक बदन पर क्यों कपड़ों का बोझ लादती हो। जो हैं, वही बहुत हैं।’’
लारेंस की इस बात पर स्टेसी मुस्करायी। दोनों साथ चलते हुए कार में आकर बैठ गये, तो लारेंस ने कार स्टार्ट कर दी, तो स्टेसी बोली, ‘‘यहीं बात करते हैं।’’
‘‘नहीं, यहां लोग देख रहे हैं। फिर मैं नहीं चाहता कि तुम्हें मेरे अलावा कोई और भी देखे।’’ लारेंस ने कार आगे बढ़ा दी, तो एक सुनसान जगह पहुंचकर रोक दी। फिर खुद तो पीछे की सीट पर आया ही, स्टेसी को भी वहीं बुलवा लिया।
स्टेसी के बदन के कपड़े अब भी भीगे हुए थे। बाल इस तरह गीले थे कि पानी अब भी गिर रहा था। बालों से पानी की बूंद उसके चेहरे या कंधे से होती हुई छाती के बीचोंबीच लुढ़कती, तो लारेंस की धड़कन बढ़ जाती। वह उसे देखे जा रहा था। तभी स्टेसी ने उसे रोका, ‘‘इस तरह क्यों देखे जा रहे हो।’’
लारेंस ने ठंडी सांस ली, ‘‘देख रहा हूं कि मुझसे ज्यादा खुशनसीब तो यह पानी की बूंदें हैं, जो तुम्हारे खूबसूरत जिस्म पर फिसलती हुई हसीन वादियों में समा जाती हैं।’’ उसकी नजर स्टेसी की छाती पर अटकी थी, ‘‘वैसे एक बात कहूं, मुझे बदन पर ज्यादा कपड़े ठीक नहीं लगते।’’ इतना कहते ही वह स्टेसी के नजदीक आ गया। होंठ उसके होंठों पर रख दिये, तो हाथ उसकी पीठ पर जाकर उसके स्विमिंग सूट की जिप खोलने लगे।


अगले ही पल स्टेसी का जिस्म स्विमिंग सूट से आजाद था, तो लारेंस के होंठ और हाथ उसके जिस्म पर हसरत लिये फिसल रहे थे। स्टेसी के जिस्म में अजीब सी उमंग उमड़ रही थी। रोमांच के मारे रोंगटे खड़े हो गये थे। होंठ थरथरा रहे थे, ‘‘ये क्या करते हो। कुछ होता है।’’ वह हौले से बोली।
‘‘होने दो। आज सब कुछ होने दो। आज हम दोनों के बीच की तमाम दूरी सिमट जाने दो।’’ लारेंस ने एक पल को होंठ उसके जिस्म से हटाये थे, तो फिर से वहीं पहुंचकर हरकत करने लगे थे।
‘‘मगर अभी यह ठीक न होगा। शादी से पहले... प्लीज लारेंस।’’ स्टेसी ने उसे रोकने की कोशिश की, पर नाकामयाब रही।
‘‘मुझसे अब शरीर में हसरतों का तूफान सहा नहीं जाता। आज इसे गुजर जाने दो।’’ लारेंस ने स्टेसी को कसकर भींच लिया और उसकी आंखों में गहराई तक झांकने लगा।
स्टेसी शरमा गई, ‘‘मुझे डर लगता है। सुना है, बहुत दर्द होता है।’’
‘‘पल भर को होता है दर्द, फिर तो आनंद आता है। फिर हमारा प्यार तभी तो सम्पूर्ण होगा, जब हम तन से भी एक हो जायेंगे।’’ उसने स्टेसी को फुसलाया।
स्टेसी अब कुछ बोली नहीं, तो लारेंस के होंठों और हाथों के स्पर्श का आनंद लेने लगी। वाकई मीठा अहसास था। वह अंदर तक रोमांचित हुये जा रही थी। इस हद तक कि उसका डर भी जाता रहा था। तभी लारेंस ने उसे अपनी टांगों पर बिठा लिया, तो उसने एक हल्की सी चुभन महसूस की, पेट के नीचे। फिर लारेंस ने दोनों के शरीर की हलचल तेज की, तो दर्द से कराह उठी स्टेसी। वह इसकी शिकायत करती, पर इससे पहले की दर्द आकर जा भी चुका था। अब तो उसकी जगह एक अलग ही आनंद ने ले ली थी। स्टेसी भी अब पहल कर सहयोग करने लगी थी। और तब तक उसका साथ देती रही, जब तक खुद वह निढाल नहीं हो गई। उसने अपने जिस्म में कुछ प्रवेश करता महसूस किया, तो कुछ शरीर से बाहर निकलता। उसने लारेंस को चूम लिया, तो खुद को उससे अलग भी कर लिया।
स्टेसी ने राहत की सांस ली, तो तन पर कपड़े भी पहन लिये। उस पहले देह मिलन का आनंद था कि स्टेसी के जेहन से दूर होने का नाम नहीं ले रहा था। अब तो वह रोज ही लारेंस से मिलने लगी, और एकांत मंे चलकर इसी तरह के आनंद की चाहत रखने लगी। स्टेसी को पुरुष संसर्ग का ऐसा चस्का लग चुका था कि वह लारेंस से कहने लगी, ‘‘रोज थोड़े से समय से दिल नहीं भरता। मैं तो बार-बार यह सुख चाहती हूं।’’
‘‘रोका किसने है। पर इसके लिए जरूरी है कि हम रात-दिन साथ रहें। अगर तुम चाहो, तो मेरे घर आकर रह सकती हो। मैं अकेला ही रहता हूं।’’ लारेंस ने जैसे उसे तोहफा दे दिया था।
‘‘मैंने कब मना किया। अभी चलो न।’’ स्टेसी की बेकरारी बढ़ती ही जा रही थी।
स्टेसी वाकई अपना घर छोड़कर लारेंस के घर चली आयी। यहां लारेंस ने उसे भरपूर प्यार दिया, तो सेक्स के कई ऐसे रूप भी दिखा दिये, जिससे स्टेसी अनजान थी। वैसे तो यह एक तरह से यौन प्रताड़ना थी, पर स्टेसी को हर दर्द में सुख का अहसास होता था। इस हद तक वह लारेंस को चाहती थी। दरअसल, लारेंस सैडिस्ट था। यानी यौन संबंधों के दौरान उसे महिला साथी को तरह-तरह के कष्ट देकर आनंद आता था। वह दर्द से कराहती, तो उसका आनंद और बढ़ जाता। फिर वह यौन सुख का गहराई तक खुद भी अनुभव करता, तो साथी को भी करवाता।
लारेंस यौन संबंधों के दौरान कभी स्टेसी के होंठ काट लेता, तो कभी छातियांे को चूमते हुए उसके अग्र भाग को बुरी तरह जख्मी कर देता। फिर जब स्टेसी के जिस्म में अपने वजूद को उतारता, तो इस हद तक हरकत करता कि स्टेसी जख्म का अहसास करती, तो खून भी खूब निकलता। उसने शायद ही उसके शरीर का कोई अंग छोड़ा था, जहां जख्म का निशान नहीं दिखाई देता था। बावजूद इसके स्टेसी को उससे कोई शिकायत नहीं थी। वह हर हाल में खुश थी। वह शायद इसकी आदी हो चुकी थी। वह तो खुद सेक्स की भूखी हो चली थी। ऊपर से सेक्स संबंधों के दौरान लारेंस एक तूफान की तरह आता, तो अपने दुखद-सुखद निशान भी छोड़ जाता।
स्टेसी उसे कभी किसी बात की शिकायत का मौका ही नहीं देती थी। उसकी हर ख्वाहिश का ध्यान रखती थी। लारेंस को स्टेसी का ज्यादा कपड़े पहना पसंद नहीं था, तो वह हर समय कपड़े तंग व कम ही पहनती, जिससे लारेंस खुश रहे और उसके अदंर उमंग भरी रहे, जिससे वह उसे संतुष्ट करता रहे।
कई साल यूं ही गुजर गये। स्टेसी को बाहरी दुनिया की कोई खबर ही नहीं रहती थी। वह तो बस घर की चारदीवारी में कैद रहती और लारेंस के प्यार और यौन सुख में खोयी रहती। इसी दौरान अचानक एक दिन स्टेसी ने महसूस किया कि उसे कुछ घबराहट सी हो रही है। शरीर में कुछ भारीपन सा लग रहा है, तो मन उल्टी करने का कर रहा है। ऐसा हुआ भी। उसने कई बार उल्टी कर दी, तो घबरा भी गई। उसने लारेंस का बताया, तो उसने सोचा कि तबीयत खराब हो गई होगी। वह उसे एक लेडी डाक्टर के पास ले गया।
लेडी डाक्टर ने मुआयना करने के बाद बताया कि स्टेसी किसी रोग से ग्रस्त नहीं थी, बल्कि उसके पांव भारी हो गये थे। यानी वह गर्भ से हो गई थी। स्टेसी यह सुनकर खुश भी थी और चिंतित भी। क्योंकि वह लारेंस के साथ बिन शादी किये रह रही थी। अगर अब वह बच्चे को जन्म देती, तो लोग उसे बिन ब्याही मां कह कर ताने मारते। उसने अब जिद करनी शुरू कर दी कि लारेंस जल्दी से उससे विधिवत ब्याह कर ले। पर लारेंस कोई न कोई बहाना करके रोकता रहता था, बल्कि अब तो वह जब तक उसे प्रताड़ित करता, तो यौन संबंध के समय भी पहले से ज्यादा उसके शरीर को आहत करता।
हद तो अब यह हो गई थी कि स्टेसी का गर्भ छह महीने का हो गया था, तो डाक्टर ने उसे यौन संबंध बनाने से परहेज रखने की हिदायत दी। क्योंकि इससे गर्भ मंे पल रहे बच्चे का अहित हो सकता था, तो स्टेसी की जान को खतरा था। ऐसे में अब लारेंस स्टेसी से अप्राकृतिक तौर पर उसे यौन सुख देने की जिद करता। न चाहते हुए भी उसकी खुशी और इस चाहत में कि वह उससे शादी करेगा, वह उसकी हर जिद पूरी करती। वह कभी कहती कि उससे यह नहीं होगा, तो लारेंस उसे ब्लू फिल्म दिखाता और कहता, ‘‘देखो, इसमें भी तो यही हो रहा है, फिर तुम्हें क्या परेशानी है। यही तो जिंदगी का असली मजा है।’’
स्टेसी चुप लगा जाती। फिर दिन बीते तो स्टेसी का प्रसव समय भी आ गया। उसने अपनी जैसी एक प्यारी से बेटी को जन्म दिया। स्टेसी खुश थी, पर लारेंस का व्यवहार अब बदलने लगा था। उसे बच्ची से कोई शिकायत नहीं थी, पर स्टेसी का जिस्म अब उसे बासा नजर आता था। उसमें पहले जैसी कशिश भी नहीं महसूस होती थी, तो स्टेसी को यौन संबंध के समय पहली की तरह रुचि दिखाकर साथ न देना भी अखरता था।
यही कारण रहा कि लारेंस के कदम घर से बाहर निकल गये, तो उसको रोनाल्डा भा गई।
रोनाल्डा बारहवीं की छात्रा थी। वह अपनी मां जेनिफर के साथ रहती थी। रोनाल्डा के पिता का देहांत हो चुका था। मां जेनिफर ही नौकरी कर उसका पालन-पोषण कर रही थी। रोनाल्डा वैसे ही बेहद खूबसूरत थी, तो अभी जवानी की ओर कदम बढ़ा रही थी। ऐसे में खूबसूरती में और निखार तो आना ही था। रोनाल्डा 17 साल की कच्ची उम्र की नादान लड़की थी। लारेंस उसे दो-चार बार राह में मिला, तो फिर दोस्ती का हाथ उसकी तरफ बढ़ा दिया। रोनाल्डा ने भी कुछ सोचे-समझे बगैर उससे दोस्ती कर ली।
अब अकसर स्कूल में छुट्टी के बाद रोनाल्डा लारेंस के साथ कहीं निकल जाती, जहां दोनों प्यार की बातें करते। जब रोनाल्डा देर से घर लौटती, तो मां जेनिफर सवाल करती, तो वह कोई न कोई बहाना बना देती।
उस दिन मौसम सुबह से ही खराब था। आसमान में बादल इधर-उधर हो रहे थे। लगता था कि अब बरसे, तब बरसे। ऐसे में लारेंस के दिल को भी रोनाल्डा के जिस्म को पाने की उमंग भी बेचैन कर रही थी। वह अपनी कार लेकर उसके स्कूल जा पहंुचा था। वह स्कूल की छुट्टी होने का इंतजार कर रहा था। ठीक समय पर स्कूल की छुट्टी हुई, तो लारेंस को रोनाल्डा अपनी तरफ आती दिखी, तो उसका चेहरा खिल गया। रोनाल्डा नजदीक आई, तो बोली, ‘‘क्या बात है, आज बहुत खुश नजर आ रहे हो।’’
‘‘रोनाल्डा , वाकई में आज खुश हूं। चाहता हूं कि तुम्हें भी आज हर खुशी दे दूं। मौसम भी यही कह रहा है।’’ लारेंस ने कहा।
‘‘मैं तुम्हारा मतलब समझी नहीं!’’ रोनाल्डा ने नादानी में कहा।
‘‘वो भी समझा दूंगा। आओ, गाड़ी में बैठो।’’ लारेंस ने कहा और रोनाल्डा को कार में बैठाकर नदी किनारे ले गया।
नदी किनारे दोनों काफी समय तक बैठे बातें करते रहे, तो लारेंस जब-तब रोनाल्डा के नाजुक अंगों को छेड़ देता। रोनाल्डा ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया था। वह तो बस उसकी प्यार भरी बातें सुनकर खुश हो रही थी। तभी अचानक पहले बूंदा-बांदी शुरू हुई, तो फिर तेज बारिश होने लगी। तब दोनों नदी के पास बने एक छोटे से होटल में आ गये, जहां लारेंस ने एक कमरा किराये पर ले लिया। दोनों ने वहां कॉफी पी। फिर अचानक लारेंस रोनाल्डा के नजदीक आ गया और बोला, ‘‘क्या हम एक नहीं हो सकते?’’
‘‘एक ही तो हैं। तुम भी और मैं भी... दोनों एक-दूसरे को दिल से प्यार करते हैं।’’ रोनाल्डा उसकी मंशा से अनजान थी।
‘‘ऐसे नहीं... ऐसे भी।’’ कहते हुए लारेंस ने रोनाल्डा को अपनी बांहों में भर लिया और उसके होंठ अपने होंठों की गिरफ्त में लेकर उन पर जीभ फिराने लगा?
रोनाल्डा के शरीर में सनसनी सी दौड़ने लगी। वह घबरायी गई। बोली, ‘‘छोड़ो भी, ये क्या करते हो।’’
‘‘तुम्हें जिंदगी के मायने समझाना चाहता हूं।’’ लारेंस ने कहा, तो फिर रोनाल्डा के तमाम शरीर को चूम डाला।
रोनाल्डा के लिए यह पहला पुरुष स्पर्श था, और वह भी इतना गहरा कि उसका विरोध हलका पड़ता गया और लारेंस की हरकत बढ़ती गई। अब तक लारेंस अपने भी और रोनाल्डा के भी सभी कपड़े शरीर से अलग कर पलंग से नीचे गिरा चुका था। लारेंस के सामने खुद को बेलिबास देख रोनाल्डा की आंखें शरम से झुकी जा रही थीं, तो अपने नाजुक अंगों पर लारेंस के होंठों के स्पर्श से वह इस हद तक पहुंच गई थी कि उससे लारेंस की दूरी सही नहीं जा रही थी। ठीक उसी समय लारेंस ने रोनाल्डा के जिस्म को अपनी जद में लेकर उसमें उतरा चला गया। रोनाल्डा कुछ पल छटपटाई, पर फिर शांत होकर सिसकारियां भरने लगी। लारेंस तो आनंद मंे खोया ही था, रोनाल्डा भी आनंद की अनुभूति में यह भूल गई थी कि वह क्या भूल कर रही है। इसका परिणाम क्या होगा। इसका अहसास उसे उस समय हुआ, जब अपनी इच्छाओं का लावा रोनाल्डा के जिस्म में उडे़ल कर लारेंस उससे अलग हुआ। वह घबराई, ‘‘यह क्या कर डाला?’’
‘‘इसी को प्यार कहते हैं।’’ कहते हुए उसने रोनाल्डा को न केवल चुप करा दिया, बल्कि कुछ पल ठहरकर फिर से उसके शरीर मंे पहले आग भड़का कर, फिर उसे शांत करके ही माना।
फिर तो रोनाल्डा को लारेंस का साथ अच्छा लगने लगा, तो लारेंस ने उसके जवान जिस्म को पाने के बाद स्टेसी से किनारा कर लिया। वह न तो उसके पास जाता था, न बात ही करता था।
अब तन्हा स्टेसी हैरान-परेशान थी। अचानक वह अतीत के ख्यालों से बाहर आ गई, तो उसे टीस फिर से सताने लगी।
इधर, रोनाल्डा और लारेंस खुश थे, पर स्टेसी आहत थी। उसने इस आस में कि लारेंस उससे शादी करके सदा उसी का होकर रहेगा, उसके तमाम यौन अत्याचार सहे थे, बल्कि उसकी बेटी की बिन ब्याही मां भी बन गई थी। अब उसे लारेंस सदा के लिए हाथ से जाता नजर आया, तो वह घबरा गई। अब कोई सहारा भी नहीं था। वह बेटी को लेकर अपने मां-बाप के पास चली गई, पर इस कोशिश में लगी रही कि आखिर लारेंस किसके चक्कर में आ गया है, जो उससे किनारा ही कर बैठा।
स्टेसी ने आखिर एक दिन पता लगा ही लिया। उसने न केवल यह जान लिया कि आजकल लारेंस रोनाल्डा के साथ मौजमस्ती कर रहा है, बल्कि रोनाल्डा के घर का पता भी हासिल कर लिया। अब वह इस जुगत में लगी थी कि कैसे लारेंस को रोनाल्डा से अलग करे। वह लारेंस की कमजोरी जानती थी। इसलिए उसने दो तरकीब साथ-साथ अपनाई। वह जानती थी कि लारेंस डरपोक किस्म का है, अतः उसने उसे धमकी दी कि अगर उसने उसे (स्टेसी) को नहीं अपनाया, तो वह पुलिस में बलात्कार और यौन शोषण की रिपोर्ट लिखवाकर उसे जेल भिजवा देगी।
दूसरा, उसने अपनी सहेली लोरा को किसी तरह राजी कर लिया कि वह लारेंस के साथ यौन संबंध बना ले। क्योंकि सेक्स लारेंस की दूसरी कमजोरी थी। लोरा ने पहल कर लारेंस के साथ संबंध बना लिये।
स्टेसी की यह दोनों तरकीब काम कर गईं। लारेंस ने अब वाकई रोनाल्डा से किनारा करना शुरू कर दिया। पर रोनाल्डा लारेंस को छोड़ने को तैयार नहीं थी। एक तो वह उसे चाहती थी, दूसरा उसके पेट में लारेंस का प्यार पलने लगा था।
लारेंस अब स्टेसी के पास लौट आया, तो उधर, रोनाल्डा छटपटाने लगी। वह जब-तब घर पहुंच जाती। इससे स्टेसी तंग आ गई, तो डर भी सताने लगा कि लारेंस फिर से रोनाल्डा के पास न लौट जाये। अब वह रोनाल्डा से हद से ज्यादा नफरत करने लगी। दिल की नफरत इस तरह बढ़ी कि वह न केवल रोनाल्डा को जलील करती, बल्कि सरेआम उसकी पिटाई भी कर देती। उस रोज रोनाल्डा लोकल ट्रेन से घर आ रही थी कि स्टेसी ने उसे देख लिया और वहीं उसकी इतनी पिटाई कर डाली कि वह बुरी तरह घायल हो गई।
तब घर आकर रोनाल्डा ने अपनी मां जेनिफर को न केवल स्टेसी द्वारा की गई मारपीट के बारे में बताया, बल्कि इसका कारण भी बता दिया कि वह लारेंस से प्यार करती है। इसी कारण स्टेसी उससे दुश्मनी रखती है। जेनिफर को बेटी रोनाल्डा का जीवन खतरे में लगा, तो उसने स्टेसी के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट भी लिखवा दी। पुलिस ने स्टेसी को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस स्टेशन से किसी तरह स्टेसी को आजादी मिल गई, पर अब वह रोनाल्डा से इस हद तक नफरत करने लगी थी कि उसको हमेशा-हमेशा के लिए रास्ते से हटाने की भी सोच बैठी।
यह काम अकेली का नहीं था। इसके लिए स्टेसी ने अपनी व्यथा सहेली लोरा को बताई, तो वह साथ देने को तैयार हो गई। स्टेसी का हौसला बढ़ा, तो उसने लारेंस को साथ करने के लिए उसे डराया, ‘‘देखो, मुझे रोनाल्डा ने पुलिस स्टेशन पहुंचा दिया। अब वह तुम पर भी बलात्कार का मुकदमा कर सकती है। बेहतर होगा कि उसका मुंह हमेशा के लिए बंद कर दें।’’
वाकई लारेंस बेहद डर गया था। उसे स्टेसी की बात से सहमति जताने के अलावा और कोई रास्ता नजर भी नहीं आया। अतः वह इसके लिए तैयार हो गया। अब स्टेसी, लारेंस और लोरा ने मिलकर रोनाल्डा को ठिकाने लगाने का पूरा प्लान भी बना लिया।
योजना के तहत 21 दिसम्बर, 2010 को तीनों ने रोनाल्डा को उस समय घेर लिया, जब वह स्कूल की छुट्टी के बाद अपने कोचिंग इंस्टीट्यूट से भी कोचिंग लेकर बाहर निकली। तीनों रोनाल्डा पर हाथों और चाकू से बुरी तरह टूट पड़े। रोनाल्डा दर्द से कराहती रही, तो स्टेसी और लारेंस से दया की भीख मांगने लगी, पर किसी को उस पर तरस तक नहीं आया। रोनाल्डा लारेंस से कहती रही, ‘‘मेरी नहीं, तो कम से कम मेरे पेट में पल रही अपने प्यार की निशानी पर तो रहम करो।’’
लारंेस को रहम आया भी, पर स्टेसी ने फिर उसे आंख दिखाई, तो उसने रोनाल्डा की गर्दन कस कर दबा दी। वहीं स्टेसी ने उसकी गर्दन चाकू से रेत दी, तो छाती, टांगों, पीठ और हाथों को बेरहमी से चाकू से गोद डाला। फिर रोनाल्डा को मरा जान तीनों उसको रस्सी से बांध कर वहां से लौट आये।
इधर, जब काफी समय बीत जाने पर भी रोनाल्डा घर नहीं पहुंची, तो उसकी मां जेनिफर चिंतित हो गई। वह उसकी खोज में उसके स्कूल गई, पर वहां से तो वह कब की जा चुकी थी। अब जैसे ही जेनिफर कोचिंग इंस्टीट्यूट पर पहुंची, तो उसका कलेजा ही दहल गया। सामने रोनाल्डा बुरी तरह जख्मी पड़ी कराह रही थी। चारों तरफ खून ही खून नजर आ रहा था। संयोग से अभी रोनाल्डा की कुछ सांसें शेष थीं। मां को देखते ही वह कराहती आवाज में बोली, ‘‘मुझे स्टेसी ने मारा है। उसे मत छोड़ना।’’ बस फिर इसके बाद उसकी सांस थम गई, तो आंखें सदा के लिए बंद हो गईं।
जेनिफर रोती-बिखलाती रही। जैसे-जैसे वह अपने कलेजे के टुकड़े के शरीर पर बंधी रस्सी खोलती गई, तो जख्म उभर कर सामने आते गये। उसी समय जेनिफर ने पुलिस को फोन किया, तो जल्दी ही पुलिस वहां आ पहुंची। रोनाल्डा की लाश को तुरंत पोस्टमार्टम के लिए भेज कर जेनिफर के बयान लिये गये, तो उसने कहा कि रोनाल्डा की दुश्मनी स्टेसी से थी। क्योंकि रोनाल्डा लारेंस से प्यार करती थी। वहीं स्टेसी लारेंस का पहला प्यार थी।
जेनिफर की निशानदेही पर स्टेसी और लारेंस को गिरफ्तार कर लिया गया, तो उन्होंने लोरा का नाम भी उजागर कर दिया। उसे भी गिरफ्तार कर तीनों को कोर्ट में पेश किया गया, तो तीनों ने अलग-अलग बयान दिये। दोष एक-दूसरे के सिर थोपते हुए खुद को बेगुनाह बताया। पर सुबूत इनके खिलाफ पुख्ता थे। तीनों को जेल भेज दिया गया। मुकदमा लंबा चला। 10 जनवरी, 1012 को कोर्ट ने सभी की दलीलों को सुनने के तीनों को उम्रकैद की सजा सुना दी।