Tuesday, February 19, 2013

वक्त से पहले सबकुछ पा लेने की चाह में पिफसलते हैं कदम


लड़के-लड़कियांे का एक साथ उठना-बैठना, मिलजुल कर रहना अब कोई आश्चर्य की बात नहीं रही, और सच पूछें तो यह जरूरी भी है ताकि वे एक दूसरे को समझ सकें। लेकिन धीरे-धीरे यह दोस्ती एक ऐसा मोड़ ले लेती है जहां नैतिकता की सीमाएं टूटने लगती हैं, अगर गलती हो गई है तो आजीवन उसे याद करके रोने से कोई पफायदा नहीं, खासतौर से शादी से पूर्व उसे भुला देना बेहद जरूरी है।


आज जब हम आधुनिक संस्कृति के वाहक होने का दावा कर रहे हैं, तो सबसे पहले हमें यह जानने की कोशिश करनी होगी कि वास्तव में आधुनिकता के मायने क्या हैं? क्या पश्चिमी संस्कृति के गुण-दोषों को जाने बिना उसे उसी के संदर्भ में स्वीकार करना आधुनिकता है? या पिफर कुछ उपयोगी बातों को चुनकर उन्हें अपनी संस्कृति व परिवेश के अनुसार आत्मसात करना हमारे हित में होगा?

दुर्भाग्यवश आधुनिकता के नशे में चूर हमारे समाज ने कुछ ऐसी नवीन परंपराओं को अपना लिया है, जो बर्बादी के अलावा हमारे युवा समाज को कुछ नहीं दे सकती। आज हमारे समाज में लड़कियों का लड़कों के साथ मेल-जोल, दोस्ती को बुरी नजरों से नहीं देखा जाता। आजकल युवा वर्ग में जो पैफशन सबसे ज्यादा सिर चढ़ कर बोल रहा है, वह है लड़की व लड़के में प्रेम भावनाओं का हिचकोले लेना। अगर बात केवल आत्मिक प्रेम तक ही सीमित रहे तो कोई हर्ज नहीं, लेकिन दुख की बात तो यह है कि आज प्रेम को दो दिलों के संगम से हटकर दो जिस्मों के संबंध के रूप में देखा जाने लगा है। प्रेम के केवल शारीरिक संबंधों तक ही सिमटने के पीछे आखिर कौन से कारण उत्तरदायी हैं? आज का युवा पाश्चात्य संस्कृति से बहुत अधिक प्रभावित हैं जिसमें सहनशीलता जैसे मानवीय मूल्यों के लिए कोई स्थान नहीं है। तेजी से आ रहे इस बदलाव ने युवा वर्ग को मानसिक रूप से कापफी बदल दिया है। आज हर युवा को बिना समय गंवाए तुरंत सपफलता चाहिए। धैर्य का अब उससे कोई वास्ता नहीं रह गया है। पाश्चात्य संस्कृति में दो लोगों के बीच बने शारीरिक संबंधों को वहां के समाज में हेय दृष्टि से नहीं देखा जाता, लेकिन भारत में आज भी इस तरह के संबंधों को समाज में मान्यता नहीं मिली है। भले ही यह युग लिव इन संबंधों का हो, समलैंगिक संबंधों का हो।

समाज में तेजी के साथ प्रचलन में आ रहे इस तरह के शारीरिक संबंधों का असर लड़की पर ज्यादा पड़ता है। वास्तव में पुरुष सेक्स को उतनी गंभीरता से नहीं लेते, जितना महिलाएं। लड़कियां तो इस मामले में कुछ ज्यादा ही संवेदनशील होती हैं। आज लड़कियों के ये तथाकथित प्रेमी उनकी भावनाओं से खिलवाड़ कर उनके साथ शारीरिक संबंध स्थापित कर लेते हैं। वास्तव में लड़कों के लिए अपनी प्रेमिका के साथ शारीरिक संबंध बनाने का अर्थ अपने दोस्तों के बीच अपनी इज्जत बढ़ाना है। अक्सर देखा जाता है कि लड़कियां भावनाओं में जल्द ही बह जाती हैं, जिसका पूरा-पूरा पफायदा उठाने में लड़के कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। लड़कियों के लिए अपना सब कुछ किसी को सौंपने का अर्थ है उसे पूरी तरह अपना मान लेना। जहां लड़कियों के लिए सेक्स का मतलब जिन्दगी से होता है, वहीं लड़कों के लिए सेक्स का अर्थ केवल मजे लूटने से होता है। किसी ने कहा भी है, ‘औरत प्रेम पाने के लिए सेक्स के वादे करती है और मर्द सेक्स पाने के लिए प्रेम के वादे करता है।’ लड़कियां प्रेम को बहुत महत्वपूर्ण संबंध के रूप में देखती हैं। यही कारण है कि जब किसी लड़की को अपना वह प्रेमी नहीं मिल पाता, जिसके साथ उसके शारीरिक संबंध, थे, तो वह पूरी तरह टूट जाती है। उसे जहां अपने प्रेमी से बिछड़ने का भय दिन-रात सताता है, वहीं समाज की चिन्ता रही-सही कसर दूर कर देती है। हमारा समाज लड़कियों की पवित्राता पर बहुत जोर देता है। प्रारंभ से ही लड़की के दिमाग में इस बात को अच्छी तरह बैठा दिया जाता है कि लड़की की पवित्राता का अर्थ खानदान की पवित्राता से है। लड़की से अपेक्षा की जाती है कि वह अपना सर्वस्व केवल अपने पति को सौंपेगी। आज की आधुनिक विचारों की पोषक लड़कियां भी इस बात को तहे दिल से स्वीकार करती हैं और जब वे अपना सर्वस्व अपने प्रेमी को सौंप देती हैं तो यह चिन्ता उन्हें सताने लगती है कि इस बात की जानकारी होने पर क्या उनका पति कभी उन्हें स्वीकार करेगा। दूसरी तरपफ इस मामले में लड़कों को समाज का भय न के बराबर होता है। उनकी पवित्राता बनी हुई है या भंग हो गई है, का पता नहीं लग ाने के कारण वे इन संबंधों को सरलता से लेते हैं। आज के आधुनिक समाज में भी एक पति अपनी होने वाली पत्नी से उम्मीद करता है कि वह पूरी तरह से पवित्रा हो, हां उसके स्वयं के पवित्रा होने या न होने का कोई प्रमाण लड़की के पास नहीं होता।

इस स्थिति के लिए लड़कियां स्वयं जिम्मेदार हैं। वास्तव में लड़कियों के लिए आवश्यक है कि वे प्रेम संबंधों में सदैव लक्ष्मण रेखा खींचकर रखें। भावना में बहने की कोई आवश्यकता नहीं है। अपने प्रेमी को यह बताने के लिए कि आप उससे प्रेम करती हैं, शारीरिक संबंध बनाकर प्रमाण देने की कोई आवश्यकता नहीं होनी चाहिए।

ऐसे संबंधों से आखिर किस तरह से उबरा जा सकता है? जहां तक हो सके इन संबंधों को अज्ञानतावश की गई भूल समझकर भुला देना ही जरूरी है। जीवन को पुराने ढर्रे से जितना जल्दी हो सके निकालने की कोशिश करना चाहिए। साथ ही किसी अच्छे काउंसलर से सलाह लेना भी उपयोगी होता है।


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